विष्णुगुप्तअफगानिस्तान में सम्पन्न राष्ट्रपति चुनाव की 92 प्रतिशत मतगणना हो चुकी है। वर्तमान राष्ट्रपति करजई को लगभग 54 प्रतिशत मत मिल चुके हैं। जीत के लिए 50 प्रतिशत से अधिक मतों की संवैधानिक बाध्यता को वे पार कर चुके हैं। इस दृष्टिकोण से उनकी जीत तय है, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला अब्दुल्ला को 28 फीसद मत मिले हैं, लेकिन चुनाव आयोग का कहना है कि चुनाव में धांधली हुई है। नाटो-अमेरिकी नेतृत्व भी मानता है कि धांधली हुई है। जब तक शिकायतों की संपूर्ण जांच नहीं हो जाती, तब तक नतीजों की घोषणा संभवत: रूक सकती है। ये शिकायतें देश के भविष्य के लिए खतरनाक संकेत हैं, क्योंकि इससे हामिद करजई की साख घटेगी और राष्ट्रीय स्तर पर तनाव बढ़ेगा। इसका सीधा लाभ तालिबान को होगा। तालिबान के खात्मे के बाद अमेरिकी-नाटो नेतृत्व में अफगानिस्तान में लोकतंत्र की धारा बही थी। करजई पहले मनोनयन और उसके बाद चुनाव जीत कर राष्ट्रपति बने थे। पिछले चुनावों में करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला आमने-सामने थे। उस समय भी चुनाव में धांधली की बात उठी थी, लेकिन अफगानिस्तान के भविष्य को देखते हुए और तालिबान के खतरों को भांपकर धांधली को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया था। इस उद्देश्य से करजई को चुने हुए राष्ट्रपति का तमगा जरूर मिल गया था। करजई के सामने चुनौतियां बड़ी थी। एक तो उन्हें अशांत समाज में अमन का संदेश देना था और कबीले में बंटी राजनीतिक धारा को शासन-प्रशासन की मुख्यधारा से जोड़ना था। इसके अलावा कानून-व्यवस्था की पूरी तस्वीर खींचने के साथ-साथ हथियारबंद गुटों को निहत्था भी करना था। उन्होंने भरसक कोशिश भी की। कबीलों में बंटे समाज को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने में उन्हें जरूर सफलता मिली। नव निर्माण के क्षेत्र में भी बड़ी सफलता हासिल की। इसलिए कि अमेरिका और यूरोप के साथ- साथ जापान व भारत जैसे एशियाई देशों ने भी अफगानिस्तान को खुलकर आर्थिक मदद दी, खासकर भारत की आर्थिक मदद उल्लेखनीय रही। भारत ने अफगान संसद सहित मुख्य मार्गो को भी बनाने का दरियादिली दिखाया है। बावजूद इसके करजई वहां अपनी ताकत बढ़ाने में नाकाम रहे। इसलिए कि तालिबान ने फिर से हिंसक शक्ति हासिल कर ली। वहां की आबादी करजई और अमेरिका और नाटो के खिलाफ है। तालिबान हुकूमत के खात्मे के बाद अफगानिस्तान की आबादी में आशा और बेहतरी की उम्मीद बनी थी, क्योंकि तालिबान की मजहबी अंधेरगर्दी के वे अरसे से शिकार रहे। साथ ही, आर्थिक रूप से नाजुक भी हो चुके थे, लेकिन अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति ने आबादी के बीच गुस्सा बढ़ाया है। वजह यह है कि इनकी कार्रवाई बर्बर है। तालिबान को निशाना बनाने के लिए अभियान में ज्यादातर शिकार निर्दोषजन ही हैं। विदेशी सैनिकों ने संयम दिखाया होता और तालिबान के ठिकानों का सटीक अध्ययन किया होता तो उनकी कार्रवाइयां बर्बर नहीं होती। करजई इन सैन्य कार्रवाइयों को रोकने या उनके हमलों को आबादी को बचाने में नाकाम साबित हुए हैं। सत्ता अहंकार भी भर देती है। करजई भी अहंकारी हो गये हैं, इसीलिए सियासी स्तर पर उनकी छवि बिगड़ी और विरोध बढ़ा है। राजनीतिक दलों और उनके नेताओं में बदलाव की धारा चल रही है। वे करजई को सत्ता से हटाना चाहते हैं। अमेरिका अफगानिस्तान में दोहरे संकट में फंस है। उसके सामने एक तरफ करजई की समस्या है, तो दूसरी तरफ तालिबान का बढ़ता खौफ। अमेरिका ने पहले पाक को रियायत देकर आंखें मूंदीं और अब तालिबान की बढ़ती आंच से वह झुलस रहा है। उसे तालिबान को कसने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। इधर, करजई पर भी उनका भरोसा उठ रहा है। अमेरिका को पता है कि उनकी दागदार होती छवि से जनता में गुस्सा और बढ़ेगा। वहां के नेताओं के बीच हामिद करजई को लेकर तकरार पहले से ही कायम है। अमेरिकी नीति करजई से छुटकारा पाना की है, लेकिन यह काम अमेरिका विवाद से नहीं बल्कि शांतिपूर्ण ढंग से करना चाहता है। अभी हाल ही में हामिद करजई और अमेरिकी शांति दूत के बीच वार्ता हुई थी। बातचीत में राष्ट्रपति चुनावों में धांधली को लेकर दोनों के बीच गतिरोध पैदा हो गया था। अमेरिकी दूत की नसीहतों का परिणाम यह निकला कि आगबबूला होकर हामिद करजई ने अपनी टोपी खुद टेबल पर पटक दी थी। नाटो-अमेरिकी पर्यवेक्षक भी मानते हैं कि चुनाव में धांधली हुई है। यह साफ करने के लिए काफी है कि अमेरिका का विश्वास हामिद करजई पर नहीं रहा। यह तय लगता है कि यदि हाल में संपन्न राष्ट्रपति चुनाव से उत्पन्न गतिरोध और तकरार का मुकम्मल समाधान नहीं हुआ, तो एक बार फिर अफगानिस्तान का भविष्य गहरे अंधेरे में डूब जाएगा। इसके खामियाजा करजई जानते होंगे!
आपको हार्दिक बधाई ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंnarayan narayan
जवाब देंहटाएंस्वागत है आपका ..अच्छा लिखा आपने .. नियमित बने रहें .. शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंस्वागत है !!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंगुलमोहर का फूल
मुझे आपके इस सुन्दर से ब्लाग को देखने का अवसर मिला, नाम के अनुरूप बहुत ही खूबसूरती के साथ आपने इन्हें प्रस्तुत किया आभार् !!
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